दो जोड़ी कपड़े लेकर नर्मदा की परिक्रमा पर अकेले ही निकल पड़ी क्षिप्रा

मुंबई निवासी यह युवती परिवार वालों को बिना बताए अकेले ही नर्मदा परिक्रमा को निकली है। परिवार वाले उसे इस तरह अकेले कतई न जाने देते, इसलिए उन्हें बाद में बताया। वे लेने आए, लेकिन नहीं मानी।
नदी किनारे के गांवों में रात्रि विश्राम करती। ग्रामीण परिवारों से भोजन और दुलार मिलता। अब 500 किमी ही शेष हैं क्षिप्रा की नर्मदा परिक्रमा को पूर्ण होने में।
नर्मदा और क्षिप्रा मध्य भारत की दो प्रमुख नदियां हैं। मानो सगी बहनें। मप्र सरकार की महत्वाकांक्षी नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना के तहत अब तो नर्मदा की धारा क्षिप्रा से जा भी मिली है।
दिलचस्प यह कि नर्मदा की दीवानी मुंबई की इस युवती का नाम भी कुछ और नहीं बल्कि क्षिप्रा ही है। क्षिप्रा पाठक। स्लीपिंग बैग में दो जोड़ी कपड़े और कुछ जरूरी सामान भरकर मुंबई से क्षिप्रा ने ओंकारेश्वर की ट्रेन पकड़ी, जहां से नर्मदा परिक्रमा शुरू होती है।
क्षिप्रा की नर्मदा परिक्रमा के पीछे आध्यात्मिक प्रेरणा काम कर रही थी। उसने इंटरनेट पर नर्मदा परिक्रमा के बारे में पढ़ा था। तभी से मन में इच्छा कौंधती कि उसे भी पैदल ही नर्मदा परिक्रमा करना है।