टैक्स छूट का हिसाब लगाने से पहले जरूर समझ लीजिए छूट और रिबेट का अंतर

इस घोषणा के बाद हर कोई यह हिसाब लगा रहा है कि उसे कितना फायदा होगा। बहरहाल, यह हिसाब लगाने से पहले यह समझना जरूरी है कि छूट और रिबेट में क्या अंतर है। जानिए इसी बारे में -
हमारी आय के कुछ स्रोत ऐसे होते हैं, जिनके लिए टैक्स जमा करने की जरूरत नहीं होती। जैसे एचआरए के तहत मिलने वाला पैसा।
उदाहरण के लिए किसी की सालाना आय 6 लाख रुपए है और उसे 50 हजार रुपए एचआरएल के मिलते हैं तो उसके टैक्स की गणना करते समय 6 लाख में से 50 हजार रुपए घटा देंगे। यानि साढ़े पांच लाख पर ही टैक्स बनेगा। इसे टैक्स छूट या Tax Exemption कहा जाता है।
कुल आय में से टैक्स छूट घटाने के बाद जो राशि बचती है उस पर टैक्स रिबेट (Rebate) की बात आती है। इस बची हुई राशि पर टैक्स लगता है, लेकिन कुछ योजनाओं के तहत इस पर रिबेट मिलता है। मसलन - इनकम टैक्स की धारा 87A या धारा 80सी के तहत मिलने वाला रिबेट।
जैसे- ऊपर दिए उदाहरण में करदाता ने ऐसी किसी धारा के तहत अपनी 6 लाख की सैलरी में से 1.5 लाख के डिडक्शन का फायदा उठाया है तो उसे अब चार लाख पर ही टैक्स देना होगा।
बजट 2019 में आम आदमी के लिए सबसे बड़ा ऐलान यह रहा कि 5 लाख रुपए तक की आय तक अब इनकम टैक्स नहीं लगेगा। पहले यह सीमा 2.50 लाख रुपए सालाना थी। अगर इसमें आयकर की धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट को जोड़ दिया जाए, तो यह दायरा बढ़कर 6.5 लाख रुपए से अधिक हो जाएगा।
यानि आप बचत करते हैं तो टैक्स की यह छूट 6.50 लाख हो जाएगी। इससे तीन करोड़ मध्यमवर्गीय परिवारों को फायदा होगा।