केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की नई याचिका- राम मंदिर बाबरी मस्जिद की विवादित जमीन ट्रस्ट को देने की मांगी इजाजत

सुप्रीम कोर्ट में दायर इस नई याचिका में केन्द्र ने कहा कि उसने 2.77 एकड़ विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के पास 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। याचिका में कहा गया कि राम जन्मभूमि न्यास (राम मंदिर निर्माण को प्रोत्साहन देने वाला ट्रस्ट) ने 1991 में अधिग्रहित अतिरिक्त भूमि को मूल मालिकों को वापस दिए जाने की मांग की थी। केंद्र सरकार ने वर्ष 1993 में विवादित स्थल के आसपास 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 1994 में इस अधिग्रहण को स्वीकार किया और यह आदेश दिया कि ये जमीन केन्द्र सरकार के पास बनी रहेगी। यह जमीन तब तक किसी को नहीं दी जाएगी जब तक विवाद पर फैसला नहीं हो जाता है। असलम भूरे की याचिका पर यही व्यवस्था साल 2011 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में भी बरकरार रखी गई। भूरे भी इस केस में याचिकाकर्ता है। अब, केन्द्र चाहता है कि अधिग्रहण की गई जमीन का एक हिस्सा राम मंदिर ट्रस्ट को दिया जाए और इसके लिए उसने सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी है।
योगी आदित्यनाथ ने किया केन्द्र के कदम का स्वागत
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में विवादित स्थल के पास अधिग्रहण की गई जमीन रामजन्मभूमि न्यास को दिए जाने के लिए केन्द्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जाने के कदम का स्वागत किया है। योगी ने कहा कहा कि हम ये बात कहते आ रहे हैं कि निर्विवाद भूमि के इस्तेमाल की हमें इजाजत मिलनी चाहिए। राम जन्मभूमि न्यास एक ट्रस्ट है जिसे विश्व हिन्दू परिषद के सदस्यों ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बनाया था। रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए पांच सदस्यीय जजों की पीठ में से एक के गैर हाजिर रहने के चलते मंगलवार (29 जनवरी) को अयोध्या जमीन विवाद पर निर्धारित सुनवाई को स्थगित करना का फैसला किया।
संत मान रहे मंदिर निर्माण की तैयारी
विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहण की गई 67 एकड़ जमीन मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगने के लिये केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। अब प्रतिक्रियाओं का दौर भी शुरू हो गया है। कुछ लोगों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है वहीं कुछ ने सरकार को ही आड़े हाथों लिया है।
विहिप ने भी किया स्वागत, तो कुछ ने की आपत्ति
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहण की गई 67 एकड़ जमीन मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगने के लिये केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किये जाने का स्वागत किया है। विहिप ने कहा कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि यह जमीन राम जन्मभूमि न्यास की है और यह किसी वाद में नहीं है। यह कदम सरकार का सही दिशा में उठाया गया कदम है और हम इसका स्वागत करते हैं। जबकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने सरकार के इस कदम को गैरकानूनी करार दिया है वहीं पक्षकार हासिम अंसारी ने अलग सुर अपनाते हुए कहा कि उन्हें केंद्र के इस कदम से कोई आपत्ति नहीं है। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि चुनाव नजदीक आते ही भाजपा राम मंदिर का राग अलाप रही है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रया देते हुए कहा कि सरकार ने अधूरा काम किया है। अखाडा परिषद् के महंत नरेंद्र गिरी ने आरोप लगाया कि मुख्य न्यायधीश मंदिर का निर्माण नहीं होने देना चाहते। इससे पहले आरएसएस नेता ने साधु संतों से सुनवाई करने वाले जजों के यहां हल्ला बोलने की अपील की थी। केंद्र की याचिका को संत राम मंदिर के निर्माण की तयारी मान रहे हैं।
भाजपा के राम माधव ने रामजन्मभूमि की भूमि के अधिग्रहण से सम्बंधित इस याचिका का मुख्य विवाद से कोई लेना देना नहीं है।