सरकारी संस्थानों में ऊंचे पदों पर रिजर्वेशन पाने वालों की संख्या बेहद कम : RTI

यह कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्राप्त किए गए सबसे हाल के आंकड़ों से पता चला है।
यह ऐसे समय में महत्त्वपूर्ण है जब सरकार ने 8 लाख रुपए से कम कमाने वाले सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत कोटा के लिए संवैधानिक संशोधन लागू किया हो, जो रिजर्वेशन का फायदा नहीं ले पा रहे थे, कोटा एससी के लिए 15 प्रतिशत, एसटी के लिए 7.5 प्रतिशत और ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत है।
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार यह आंकड़े 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों की के मुताबिक हैं, जहां ओबीसी आरक्षण केवल सहायक प्रोफेसर के स्तर तक लागू है – लेकिन यहां भी, उनकी हिस्सेदारी उनके कानूनी अधिकारों के लगभग आधी (14.38 प्रतिशत) है।
गौरतलब है कि ओबीसी आरक्षण के तहत नियुक्त केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों और एसोसिएट प्रोफेसरों की संख्या: शून्य। वे बताते हैं कि 95.2 प्रतिशत प्रोफेसर, 92.9 प्रतिशत एसोसिएट प्रोफेसर और 66.27 प्रतिशत सहायक प्रोफेसर सामान्य वर्ग से हैं, जिनमें SC, ST और OBC भी शामिल हो सकते हैं जिन्होंने आरक्षण का लाभ नहीं लिया है।
इसके अलावा 1,125 प्रोफेसरों में से 39 (3.47 फीसदी) एससी हैं जबकि 8 (0.7 फीसदी) प्रोफेसर एसटी हैं। 2,620 एसोसिएट प्रोफेसरों में से 130 (4.96 फीसदी) एससी हैं जबकि 34 (1.3 फीसदी) एसोसिएट प्रोफेसर एसटी हैं। 7,441 असिसटेंट प्रोफेसरों में से 931 (12.02 फीसदी) एससी हैं जबकि 423 (5.46 फीसदी) असिसटेंट प्रोफेसर एसटी और 1,113 (14.38 फीसदी) ओबीसी हैं।