मुहर्रम की रस्मों को जिंदा रख रहा यह हिंदू परिवार
हर साल जब इमाम हुसैन की शहीदी का मातम मनाया जा रहा होता है गुप्ता 'लुट्टस' की इस रस्म के लिए जरूर मौजूद होते हैं।
राकेश के परिवार में यह परंपरा उनके दादा ने शुरू की थी। हर साल की तरह इस साल भी राकेश बाकी सारे काम हटाते हुए मुहर्रम में शामिल होने के लिए तैयार हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गुप्ता ने बताया, मैं हिंदू हूं लेकिन मैं इमाम हुसैन का सम्मान करता हूं जिन्होंने मेरे बाबा की प्रार्थना सुनकर उन्हें बेटा दिया। मेरे बाबा ने मेरा पिता का नाम फकीरचंद्र रखा और मुहर्रम के सातवें दिन तबर्रुक और दसवें दिन यौम-ए-आशूरा बांटना शुरू किया।
-सांकेतिक तस्वीर