58 पैसे किराये पर दी प्रॉपर्टी, 61 साल बाद वापस मांगी तो सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

शीर्ष अदालत ने करीब 2000 वर्गफीट के इस परिसर को बुजुर्ग डॉक्टर को वापस देने से इनकार कर दिया है। 96 वर्षीय डॉक्टर इस जमीन पर चेरेटेबल अस्पताल बनाना चाहता था।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ बुजुर्ग डॉक्टर रवि चंद मंगला की इस बात से सहमति नहीं हुई कि वह संपत्ति आरा-मशीन चलाने के लिए किराये पर दी गई थी लेकिन किरायेदार ने किसी और को वह जगह लोहे की ग्रिल बनाने के लिए दे दी।
डॉक्टर अपने इस दावे को पीठ के समक्ष साबित करने में नाकामयाब रहा। डॉक्टर मंगला ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी कि जिसमें रेंट कंट्रोलर और अपीलीय अथॉरिटी केफैसले को सही ठहराया था।
डॉक्टर ने उस जगह पर अस्पताल बनाने की बात कही थी लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को मिल बैठकर समझौता करने का सुझाव देते हुए कई बार सुनवाई टाली थी, लेकिन दोनों पक्षों केबीच समझौता नहीं हो सका। किरायेदार डिंपल सोलानिया ने परिसर खाली करने केएवज में मुआवजा स्वीकार करने केप्रस्ताव को ठुकरा दिया। उनका कहना था कि अगर उसे यह जगह खाली करनी पड़ी तो उसकी आजीविका का एकमात्र स्रोत खत्म हो जाएगा।
चूंकि दोनों पक्षों के बीच समझौता नहीं हो सका, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने मेरिट केआधार पर इस मामले का निपटारा करने का निर्णय लिया। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार पीठ ने पाया कि परिसर खाली कराने की याचिका दायर करने से पहले ही किरायेदार ने बकाया रकम चुका दिया था, ऐसे में किराये न देने के आधार पर परिसर खाली करने के मसले पर विचार नहीं किया जा सकता। साथ ही पीठ ने पाया कि रेंट अग्रीमेंट में इस तरह की कोई बाध्यता नहीं थी कि उस परिसर का इस्तेमाल सिर्फ आरा-मशीन केलिए हो सकता है।