जिला अस्पताल में नौनिहालों को दी गयी फंगस वाली दवा
लखनऊ। यहां बच्चों को बुखार में दी जाने वाली दवा पैरासीटामाल सीरप में फंगस होने का मामला सामने आया है। इस बात की खबर फैलने के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया और सीएमएस ने आनन-फानन में इस दवा के वितरण पर रोक लगा दी।
सीएमएस के मुताबिक, दो माह पूर्व वाराणसी की बी.बी फार्मा से इस दवा की आपूर्ति ली गई थी। बताया जाता है कि जेई इन्सेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चों को भी यही दवा दी जाती रही है। उधर इस बात की जानकारी जब मरीजों को हुई तो वे जिला अस्पताल से मिलने वाली सभी दवाओं को शक की नजरों से देखने लगे। बताते चलें कि जेई इन्सेफेलाइटिस रोग के मामले में देवरिया जिला अति संवेदनशील की श्रेणी में आता है। वर्तमान में भी ए.ई.एस वॉर्ड में इतनी ज्यादा है कि एक बेड पर 3 से 4 मरीज भर्ती हैं।दवा स्टोर में तैनात फार्मासिस्ट के मुताबिक, दो माह पूर्व 1400 फाइल दवा मंगाई गई थी। वर्तमान में 250 फाइल दवा स्टोर में बची है और सभी शीशियों में फंगस टाइप ठोस पदार्थ है। जो हिलाने पर भी घुल नहीं रहा है। यह दवा बुखार और दर्द के मरीजों को भी दी जाती है। यह संयोग ही रहा कि अब तक प्रयोग की गई इस लॉट की दवा से कोई अनहोनी नही हुई। इस बावत सीएमएस डॉ. छोटेलाल ने बताया कि पैरासीटामाल सीरप की बितरण पर रोक लगा दी गई है।
सीएमएस के मुताबिक, दो माह पूर्व वाराणसी की बी.बी फार्मा से इस दवा की आपूर्ति ली गई थी। बताया जाता है कि जेई इन्सेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चों को भी यही दवा दी जाती रही है। उधर इस बात की जानकारी जब मरीजों को हुई तो वे जिला अस्पताल से मिलने वाली सभी दवाओं को शक की नजरों से देखने लगे। बताते चलें कि जेई इन्सेफेलाइटिस रोग के मामले में देवरिया जिला अति संवेदनशील की श्रेणी में आता है। वर्तमान में भी ए.ई.एस वॉर्ड में इतनी ज्यादा है कि एक बेड पर 3 से 4 मरीज भर्ती हैं।दवा स्टोर में तैनात फार्मासिस्ट के मुताबिक, दो माह पूर्व 1400 फाइल दवा मंगाई गई थी। वर्तमान में 250 फाइल दवा स्टोर में बची है और सभी शीशियों में फंगस टाइप ठोस पदार्थ है। जो हिलाने पर भी घुल नहीं रहा है। यह दवा बुखार और दर्द के मरीजों को भी दी जाती है। यह संयोग ही रहा कि अब तक प्रयोग की गई इस लॉट की दवा से कोई अनहोनी नही हुई। इस बावत सीएमएस डॉ. छोटेलाल ने बताया कि पैरासीटामाल सीरप की बितरण पर रोक लगा दी गई है।