बढ़ रही बेहयाई, बेटियों पर हिजाब होना चाहिए जरुरी

आज हमारे मुआशरे में नई नौजवान नसलों में जो बिगाड़ देखने को मिल रहा है। उसकी एक खास वजह है हमारी मां, बहन, बेटियों का खुलेआम बे-नकाब सड़कों, बाजारों व मेलों में घूमना। अब इनकों न तो घर वालों का कोई डर है न अल्लाह तआला का खौफ। गुमराही के रास्ते पर महिलाएं अपनी अहमियत से वाकिफ नहीं हैं। इस बात का इन्हें इल्म ही नहीं रहा कि औरत किसे कहते हैं। शरीयत के अनुसार औरत मुकम्मल सतर है। जिस को पूरे तौर पर छुपाना फर्ज है। यानी सर से लेकर पांव के नाखून तक औरत को गैर-महरम से पर्दा करना फर्ज है।
हदीस शरीफ: रसूल-ए-अकरम सललल्लाहो अलेहि व सल्लम ने अपनी लाडली बेटी तमाम औरतों की सरदार हजरत फातिमा रजीअल्लाहूताला अन्हा से पूछा कि बेटी औरतों के लिए सबसे अच्छी क्या बात है? हजरत फातिमा ने फरमाया अब्बा जान औरत के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि वो किसी गैर मर्द को ना देखे और ना ही कोई गैर मर्द उसको देखे।
बढ़ रही बेहयाई
आजकल बाज मुसलमान मर्द और औरतें अंग्रेजों के नक्शे कदम पर चलकर पर्दे को उड़ा रहे हैं और कुरआन व हदीस के हुक्म को मिटाने की कोशिश में लगे हुए हैं। घरों के अंदर टीवी आम हो चुका है। टीवी पर इश्क-मुहब्बत की दास्तान की फिल्में पूरा परिवार संग बैठकर देखता है। मां-बाप, बहन-भाई सब एक साथ मिलकर बेहयाई देखते हैं और शैतान को खुश करते हैं। जिसका नतीजा गलत निकल रहा है।
पर्दे का करें हुक्म
तमाम उम्मत-ए-मुस्लिमा अपनी मां, बहन, बेटियों और बीवीयों को इस तरह रहने का हुक्म करें जैसा कि हमारे नबी-ए-पाक ने पर्दे का हुक्म दिया। तभी मुआशरे की बुराइयों को रोका जा सकता है। अपने बच्चों को नमाज़ की आदत डलवाएं और दीन की जरूरी बातें सिखलाएं। घरों में कुरआन पाक की तिलावत का अहतमाम कराएं और हदीस की किताबें घरों में पढ़ी जाएं। इन्शा अल्लाह हमारी जिंदगी सुन्नत तरीकों पर गुजरेगी और मुआशरे में आम हो रही बुराइयों से हमें निजात मिलेगी।