एनकाउंटर असली है तो पुलिस को सैल्यूट, अगर फर्जी है तो डबल सैल्यूट?
अमन पठान
भोपाल एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया पर एक मैसेज बहुत तेजी से वायरल हुआ। जिसमें लिखा था। एनकाउंटर असली है तो पुलिस को सैल्यूट, अगर फर्जी है तो डबल सैल्यूट?
इसका मतलब साफ है देश की शांति व्यवस्था में खलल डालने वाले मुसलमानों की हत्या पर खुश होते हैं। जिन्हें पुलिस, बीजेपी नेता, हिंदूवादी लोग और मीडिया चिल्ला चिल्लाकर आतंकी बता रही है। उन्हें पुलिस ने आतंकी घोषित किया था। न कि न्यायालय ने? न्यायालय में उनका गुनाह और बेगुनाही साबित होना बाकी थी। एनकाउंटर के वक्त पुलिस जज बन गई। न वकील, न दलील और न अपील, सिर्फ दांय दांय दांय...?
पुलिस कितनी दूध की धुली होती है ये तो आप अच्छी तरह से जानते ही होंगे। पुलिस सत्ताधारी नेताओं के हाथों की कठपुतली होती है। पुलिस को रस्सी का सांप बनाने में महारत हासिल होती है। आठ होनहार मुस्लिम नौजवानों को पुलिस ने इसलिए आतंकी घोषित कर दिया। पुलिस को शक था कि वह सिमी के सदस्य हैं और राष्ट्र विरोधी घटनाओं को अंजाम देने में उनका हाथ है।
शक की बिनाह पर पुलिस ने जिन पर आतंकवादी का ठप्पा लगा दिया था। उनका अदालत में इंसाफ होना बाकी था। न्याय पालिका में दूध का दूध और पानी का पानी होने से पहले पुलिस ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया। एनकाउंटर में मारे गए विचाराधीन कैदियों की मौत पर वो खुश हुए। जब फर्जी एनकाउंटर का मामला प्रकाश में आया तो वो मुसलमानों की मौत का जश्न सा मनाने लगे।
वो आठों देशद्रोही थे तो उनके साथ सही हुआ। अगर वो बेगुनाह थे तो बहुत गलत हुआ। कहते हैं अल्लाह के यहाँ देर है, अंधेर नही। अल्लाह इंसाफ करेगा। उसकी लाठी में आवाज नही होती है।
(लेखक अमन पठान वरिष्ठ पत्रकार व केयर ऑफ़ मीडिया के संपादक हैं। लेखक के विचार पूर्णत: निजी हैं, इस लेख को लेकर अथवा इससे असहमति के विचारों का भी UPUKLive.com स्वागत करता है। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है। आप लेख के साथ अपना संक्षिप्त परिचय और फोटो भी upuklive@gmail.com भेज सकते हैं।)