पत्रकार दिया हदीद ने पहली बार हज कर साझा किया अनुभव
नई दिल्ली। एक महिला पत्रकार पहली बार हज पर गईं और उन्होंने वहां की हर छोटी से छोटी चीज को साझा किया। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक पत्रकार दिया हदीद भी हज पर गईं और उन्होंने वहां की हर छोटी से छोटी चीज को साझा किया. उनके हज के अनुभव शायद बहुत से लोगों की जिज्ञासाओं को शांत कर सकते हैं।
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आईचौक पर प्रकाशित लेख के मुताबिक दिया हदीद ने कहा कि मैं 38 साल की महिला हूं और ये मेरी पहली हज यात्रा है. ये यात्रा पांच दिनों की होती है जो अनेकों रस्मों से भरी है और हर मुसलमान के लिए जरूरी भी है. कहा भी गया है कि हर मुसलमान को अपने जीवन में एक बार मक्का जरूर जाना चाहिए।
चल नहीं सकते तो क्या
यहां पांच दिन लगातार चलना होता है तो ऐसे में वो लोग परेशान हो जाते हैं जो उम्रदराज हैं या शरीर से मजबूर हैं. हज की लंबी यात्रा करने में अक्षम लोगों की सहायता के लिए कुछ लोग व्हीलचेयर के साथ वहां मौजूद रहते हैं. मतलब आपको सिर्फ पैसे खर्च करने हैं और कुर्सी पर बैठे बैठे सब काम हो जाएंगे।
काबा खुदा का घर माना जाता है. कहते हैं काबा जहां पर बना है वो पृथ्वी का केन्द्र बिन्दु है. इस जगह को खुदा का घर कहा जाता है, जाहिर है इसकी अहमियत मुस्लिम धर्म में सबसे पवित्र स्थान के रूप में है. काबा के अंदर जान ेकी इजाजत किसी को नहीं होती, वहां केवल बहुत उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडलों को जाने की इजाजत है. लोगों में जिज्ञासा रहती है ये जानने की कि काबा के अंदर आखिर होता क्या है. कहा जाता है कि काबा के अंदर दो खंबे हैं, एक वेदी है, धूप दीप और वहां की दीवारें सजी हुई हैं. लेकिन एक चीज जो तय है, वो ये कि वहां खुदा की तस्वीरें नहीं हैं।
गैर मुस्लिमों और नास्तिकों को प्रवेश नहीं
इस पवित्र स्थल में गैर-मुसलमानों को जाने की इजाजत नहीं है. ऐसा कुरान में लिखा है. साउदी अरब सरकार ने हज पर आने वाले लोगों की संख्या को भी सीमित किया है जो करीब 20 लाख है. कई देश में हाजियों को चुनने के लिए लॉटरी सिस्टम भी होता है।
घर ले जाने के लिए यहां बहुत कुछ
खरीदी करने के लिए मक्का बहुत सही जगह है. लोग यहां इबादत के लिए आते हैं, लेकिन दिन में पांच बार नमाज के बाद भी उन्हें अजयद स्ट्रीट में चमचमाते सोने की खरीदी करने का वक्त मिल ही जाता है. जो यहां आता है अपनी जेब के हिसाब से कुछ न कुछ खरीदकर ले ही जाता है।
-आईचौक पर प्रकाशित लेख का अंश।
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